मोहिनी एकादशी 2024: मोहिनी एकादशी में भगवान विष्णु के नारी रूप वाले मोहिनी अवतार की पूजा की जाती है। मोहिनी अवतार का समुद्र मंथन से निकले अमृत के पश्चात् से जुड़ी है।
मोहिनी एकादशी और अवतार कथा:
मोहिनी अवतार की कथा अधिकतर पुराणों में पढ़ी जा सकती है। भिन्न-भिन्न पुराणों में भगवान विष्णु जी के स्त्री रूप की कथा विवरण अलग-अलग उद्देश्यों की पूर्ति के लिये हुआ था। इनमें राहू और केतु ग्रहों की उत्तपत्ति और भस्मासुर के वध की कथा सर्व ज्ञात है। इन कथाओं के अलावा एक कम प्रचलित कथा भगवान अय्यप्पा के जन्म से जुड़ी है।
मोहिनी एकादशी महत्त्व
वैशाख मास की शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली मोहिनी एकादशी का एक अलग महत्त्व है। मोहिनी एकादशी का व्रत-उपासना करने से मन के सारे मोह नष्ट होते है। सच्चे मन से और पूरी आस्था के साथ करने से मान-सम्मान और अच्छे स्वास्थ्य का वरदान प्राप्त होता है।
मोहिनी एकादशी व्रत साधना विधि
मोहिनी एकादशी के व्रत की विधि बहुत सरल है किंतु कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है। सुबह ब्रह्म महूर्त में उठ कर स्नान के बाद तुलसी के पौधे को जल दे। भगवान विष्णु के सहस्रनामों का पाठ विष्णु सहस्रनाम से करें। सहस्रनाम के अलावा श्री हरि के किसी भी मंत्र का जप किया जा सकता है।भोग के रूप में प्रभु को पंचामृत चढ़ाएं। मोहिनी एकादशी उन एकादशियों में से एक है जिसमे भगवान विष्णु के मोहिनी अवतार की पूजा की जाती है। एकादशी का व्रत बिना दान के पूरा नहीं होता है। पूजा करने के पश्चात् किसी निर्धन व्यक्ति को धन दे या गौ माता को गुड़ खिलायें। इससे मनुष्य का भाग्योदय होता है।
अतः मन एवं विचारों को पवित्र रख कर मोहिनी एकादशी का व्रत करने से पापों का अंत जल्दी होता है।”
मोहिनी एकादशी व्रत में क्या खायें
मोहिनी एकादशी ग्रीष्म ऋतु में पड़ती है इसीलिये एकादशी व्रत सेहत को ध्यान में रख कर करे। आप चाहे तो निर्जला व्रत कर सकते हैं परंतु फलाहार या फलों के रस का सेवन करके उत्तम होगा। भगवान हरि की आराधना प्रारंभ करने की उत्तम तिथि मोहिनी एकादशी है।