पुणे के पास मोरगांव में मोरेश्वर मन्दिर के निकट पाए जाने की वजह से इस कीट का नाम मोरेश्वर रखा गया है। विज्ञान की भाषा में मोरेश्वर को केराटिन भी कहा जाता है। जिसे Family Trogidae Hide Beetles नाम से भी जाना जाता है।
Family Trogidae Hide Beetles नाम का एक छोटा सा कीट इंसानों की मौत की पहेली सुलझाने मे काफी मददगार साबित होगा।
Family Trogidae Hide Beetles Moreshwar : भारत ने साइंस और रिसर्च की दुनिया मे अनोखी उपलब्धि हासिल कर ली है। पुणे के पिंपरी चिंचवाड की वैज्ञानिक डॉ. अपर्णा सुरेशचंद्र कलावटे ने एक अनोखे प्रजाति के कीट को खोज निकाला है। यह कीट फोरेंसिक विज्ञान के लिये अमूल्य साबित हो सकता है। इस कीट का नाम मोरेश्वर कीट है। यह कीट शव के सही समय की जानकारी दे सकता है। ऐसा वैज्ञानिक डॉ. अपर्णा सुरेशचंद्र कलावटे जी ने बताया।
Family Trogidae Hide Beetles Moreshwar (कीट) का मृत शरीर के विघटन में क्या कार्य है?
Family Trogidae Hide Beetles के जीवन इतिहास के बारे में वैज्ञानिकों पूर्ण जानकारी का अभी भी अभाव है।
ट्रोगिड बीटल अपने विशेष घोंसलों में छिपे रहते हैं। Family Trogidae Hide Beetles मुर्दाखोरों(Necrofagus) का कार्य करते है। किसी मृत प्राणी के शरीर के आखरी अवशेषों पर, जैसे चमड़ी का भक्षण यही जीव करते है।
शरीर के विघटन में ब्लोफ्लाइज़ प्रथम चरण होता है। इसके पश्चात् अन्य कीड़े पहले ऊतक और फिर बाल, उपास्थि और हड्डी खाते हैं। अंत में जो त्वचा बचती है, उसे केराटिन फीडर यानी मोरेश्वर बीटल खाते हैं। Family Trogidae Hide Beetles की इस क्षमता से वह पर्यावरण को साफ बनाये रखने में सहायता करते हैं।
कैसे खुलेगा मृत जानवरो की मौत के रहस्य?
मोरेश्वर केराटिन(बीटल) के किसी प्राणी के मृत होने का सही समय और स्थान पता लगा सकता है। जूलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की डॉ. धृति बनर्जी ने भी इसकी पुष्टि की है। वैज्ञानिकों के अनुसार मोरेश्वर केराटिन के रासायनिक विश्लेषण से जीव की किस समय पर मृत्यु और जीव के अंतिम स्थान की भी जानकारी दे सकता है। डॉ. बनर्जी ने डॉ. अपर्णा सुरेशचंद्र कलावटे की उपलब्धि पर तारीफ की।
Medi terranean उत्तरी अफ्रीका-मध्य पूर्व के देशों में बेटल्स प्रजाति पर अधिक खोज और अध्ययन की जाती रही है। उन इलाको में बेटल्स को scarabs beetles कहा जाता है। जिन्हें प्राचीन मिस्र में काफी पवित्र माना जाता था। भारत में में इन जीवों पर अध्ययन शुरू कर डॉ. अपर्णा सुरेशचंद्र कलावटे पहली भारतीय वैज्ञानिक बन गयी हैं